Rajasthan gk class notes in hindi आज की इस पोस्ट में हम आपके लिए राजस्थान के एक महत्वपूर्ण टॉपिक के क्लास नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं अगर आप राजस्थान कि किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं राजस्थान की प्रमुख वेशभूषा एवं आभूषण ( 2 ) | Rajasthan ki veshbhusha avm aabhushan important classroom notes तो राजस्थान की वेशभूषा एवं आभूषण के बारे में आपको जरूर पढ़ने को मिलेगा उसी से संबंधित आज की यह पोस्ट है जिसमें आपको कंप्लीट शॉर्ट नोट्स पढ़ने को मिलेंगे जिससे यह टॉपिक आपका अच्छे से क्लियर हो जाएगा ऐसे नोट्स शायद ही आपको कहीं अन्य प्लेटफार्म पर देखने को मिलेंगे
राजस्थान की प्रमुख वेशभूषा एवं आभूषण ( 2 ) | Rajasthan ki veshbhusha avm aabhushan important classroom notes अगर आप राजस्थान की किसी भी परीक्षा जैसे RAJASTHAN SUB-INSPACTOR, CONSTABLE, LDC , REET , 1st & 2nd GRADE TRACHER , HIGH COURT , UDC की तैयारी कर रहे हैं तो इन नोट्स को एक बार जरुर पढ़ें एवं अगर यह अच्छे लगे तो ऊपर दिए गए शेयर बटन के माध्यम से इसे अपने दोस्तों एवं अन्य ग्रुप में जरूर शेयर करें
राजस्थान की प्रमुख वेशभूषा एवं आभूषण ( 2 ) | Rajasthan ki veshbhusha avm aabhushan important classroom notes
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स्त्रियों के आभूषण
सिर के आभूषण
सुवालळकौ, माँगफूल, माँगटीका, तिलकमणी, चूड़ामण, सिणगारपट्टी, मावटी, फुलगूधर, शीशफूल, मेमंद, बोर, रखड़ी, टिकड़ा, काचर, खींच, गेडी, गोफण, चाँद-सूरज, तीबगट्टौ, थुंडी, मैण, मोड़ियौ, मोरमींडली, सरकयारौ, मोली, बोरला, टीका, झेला, सांकली, खेंचा, तावित, बिंदिया, दामनी, टिडीभलको, टीकी या बिंदी, सिवतिलक, सोहली आदि। |
– शीशफूल- सिर पर पीछे की तरफ सोने की बारीक सांकल जैसा पहने जाने वाला आभूषण।
– बोरला- महिलाओं द्वारा गोल आकार का सिर पर पहने जाने वाला आभूषण।
– मेमंद- यह आभूषण महिलाओं द्वारा सिर पर धारण किया जाता हैं।
– रखड़ी- सुहाग की प्रतीक बोरला के समान ही सिर का एक आभूषण है।
– गोफण- स्त्रियों के बालों की वेणी में था जाने वाला आभूषण गोफण कहलाता है।
– टीका- रखड़ी अथवा बोरला के आगे पहने जाने वाला एक फूल की आकृति का आभूषण टीका या तिलक कहलाता है।
– टीडीभलको- ये आभूषण सिर पर धारण किया जाता है।
– बिन्दी/टीकी- सुहागिन स्त्रियाँ ललाट पर लगाती हैं।
– सेलड़ौ – स्त्रियों की वेणी में गूँथा जाने वाला आभूषण।
– सोहली – ललाट पर धारण करने का स्त्रियों का एक आभूषण।
– मोरमींडली – स्त्रियों के सिर का आभूषण।
– फूलगूधर – शीश पर गूँथा जाने वाला एक रजत का आभूषण। विशेष।
– टिकी – स्त्रियों के ललाट पर धारण करने का आभूषण।
– टीका – स्त्रियों के सिर का एक आभूषण।
कान के आभूषण :
डुरंगलौ, झेलौ, एरंगपत्तो, बाळा, पासौ, पत्तीसुरलिया, झूटणौ, झाळ, फूलझूमका, सूरळियो, सुरगवाली, कर्णफूल, पीपलपत्र, अंगोट्या, लटकन, बाली, टॉप्स, सुरलियाँ, मोरफवर, बारेठ, ओगनियाँ, कुंडला, लूंग, भचूरिया, टोटी, जमेला, कोकरूं, कुड़कली, खींटली, गुड़दौ, छेलकड़ी, झूंटणौ, ठोरियौ, डरगलियौ या डुरगली, बूझली, माकड़ी, मुरकी, वेड़लौ, संदोल, सुरगवाळी आदि। |
– झुमकी- सोने या चाँदी का बना आभूषण जिसके नीचे छोटी-छोटी घुँघरियाँ से बनी होती हैं, झुमकी कहलाती है।
– कर्णफूल- कान के निचले भाग का पुष्पाकार आभूषण जिसके बीच में नगीने जड़े होते हैं।
– लौंग- सोने या चाँदी के तार से मसाले के लौंग के आकार का बना आभूषण जिसके ऊपर घूँडीदार नगीना होता है, लौंग कहलाता है।
– मोरूवर- महिलाओें के कान पर यह मोर रूपी आभूषण ‘मोरूवर’ लटकाया जाता है।
– टोटी- गोल चकरी के समान आभूषण, जिसके पीछे डण्डी भी लगी होती है, टोटी कहलाती है।
– ओगन्या- कानों के ऊपरी हिस्से पर पान के पत्ते की आकृति के समान सोने व चाँदी का आभूषण।
– झूंटणौ – स्त्रियों के कान का आभूषण।
– छैलकड़ी – कान का एक आभूषण।
– खींटली – स्त्रियों के कान का आभूषण।
नाक के आभूषण :
भँवरकड़ी, नथ बिजली लूंग, नथ, बारी, काँटा, भोगली, बुलाक, चोप, कोकौ, खीवण, नकफूल, नकेसर, वेण, वेसरि, लौंग आदि। |
– नथ- सोने के तार का बना मोटा छल्ला जिसे नाक में पहना जाता है।
– भँवरा- यह नथ के समान ही एक आभूषण है जिसे अधिकांशत: विश्नोई जाति की महिलाओं द्वारा पहना जाता है।
– बेसरी- इस आभूषण में नाचता हुआ मोर चिह्न अंकित होता है।
दाँत के आभूषण :
रखन, चूँप, धाँस, मेख |
– रखन – दाँतों में सोने के पत्तर की खोल बनाकर चढ़ाई जाती है जिसे रखन कहते हैं।
– चूँप – दाँतों के बीच में सोने की कील जड़वाना चूँप कहलाता है।
– मेख – स्त्री-पुरुष के दाँत में जड़ी सोने की चूँप।
गले के आभूषण :
गेडी, डोरो, तांतणियौ, झालरौ, कंठसरी, निगोदर, निगोदरी, तेड़ियौ, आड़, थाळौ, रूचक, बाड़ली, बाड़लौ, हांस, पाट बंगड़ी, गळपटियौ, गळबंध, तखति, तगतगई, थेड्यो, थमण्यो, तेड्यो, मूँठया, झालरा, खाँटला, ठुस्सी, कंठी, नक्कस, निंबोळी,निगोदर, पंचलड़ी, पंचमाणियौ, पटियौ, तिमणिया, तुलसी, बजट्टी, मांदलिया, हाँसली, चंद्रहार, कंठहार, हँसहार, हांकर, सरी, टेवटौ, पोत, ताबीज, तेवटियौ, तांतणियौ, मंगलसूत्र, रूचक, हालरों, हौदळ, बाड़ली, बटण, खींवली, खूंगाळी, छेड़ियौ, हमेल, खंगवारी, रामनामी, चम्पाकली, जुगावली, चोकी, चन्द्रमाला, मटरमाल, मोहरन, गुलीबन्द, हार आदि। |
– बाड़लो- यह गले में पहनने वाला आभूषण है।
– बजट्टी- कपड़े की छोटी पट्टी पर सोने के खोखले दानों को पिरोकर बनाया आभूषण बजट्टी कहलाता है।
– चंद्रहार- शहरी महिलाओं में सर्वाधिक लोकप्रिय हार है।
– झालरा – सोने या चाँदी की लड़ियों से बना हार जिसमें घूँघरियाँ लगी होती हैं, ‘झालरा’ कहलाता है।
– हँसली- गाँवों में छोटे बालकों को उनकी हँसली खिसकने से बचाए जाने के लिए धातु के मोटे तार को जोड़कर गोलाकार आभूषण हँसली पहनाया जाता है।
– हार- गोलाकार कई रत्नों से जड़ित सोने का बना आभूषण जिसे महिलाएँ गले में पहनती हैं, हार कहलाता है।
– कंठी- सोने की लड़ से बनी बारीक साँकल जिसमें कोई लॉकेट लगा होता है, ‘कंठी या चैन’ कहलाता है।
– मंगलसूत्र- वर्तमान में सुहाग के प्रतीक के तौर पर काले मोतियों की माला से बना हारनुमा आभूषण ‘मंगलसूत्र’ कहलाता है।
– मादलिया- ताबीज की तरह या छोटे ढोलक के आकार का बना छोटा आभूषण जिसे काले डोरे में पहना जाता है, मादलिया कहलाता है।
– तिमणिया/थमण्यो- सोने का बना आभूषण जो महिलाओं द्वारा गले में पहना जाता है।
– बंगड़ी – एक प्रकार का गले का आभूषण
– पचमाणियौ – मेवात क्षेत्र में गले का आभूषण
– नक्कस – मेवात क्षेत्र में कंठ का आभूषण
– थाळौ – देवमूर्ति युक्त गले का आभूषण
– तांतणियौ – गले का एक आभूषण
बाजू (भुजा) के आभूषण :
बहरखौ, बाजूसोसण, बाजूबन्द, बाहुसंगार, बिजायठ, डोडी, डटेकड़ौ, टडौ, खाँच कातरियौ, अड़कणी |
– बिजायठ – बाँह पर धारण करने वाला आभूषण
– डोडी – भुजा पर धारण करने का कड़ा, आभूषण
– खाँच – बाँह पर धारण करने वाला स्त्रियों का आभूषण
अंगुली के आभूषण :
पट्टा बींटी, पवित्री, बींटी, दामणा, हथपान |
– पट्टा बींटी – पाणिग्रहण से पूर्व वर की ओर वधू को पहनाई जाने वाली चाँदी की मुद्रिका।
– पवित्री – ताँबा और चाँदी के मिश्रण से बनी मुद्रिका।
– अंगूथळौ – अंगूठे में पहनने का आभूषण।
हाथ के आभूषण :
बन्द बंगड़ीदार, लाखीणी, पछेली, धांगा, अणंत, बाजूबन्द, हारपान, ठ्डडा, गजरा, आरत, तकमा, चूड़ला, नवरतन, चूड़ियाँ, नोगरी, मौकड़ी, पछेली, गोखरु, पाटला, कंगन, पूंचिया, गजरौ, तॉती, दुड़ी, नवग्रही, पुणची (पौंचा), माठी, मूठियौ, पट, कँकण, चूड़ा, बंगड़ी, चूड़ी, कड़ा, हथफूल, खंजरी, चांट, आरसि, चूड़ियाँ, छैलकड़ौ, दुगड़ी, बाजूजोसण, सूतड़ौ, सोवनपान, हाथुली, अंगूठी, मूंदड़ी, बींटी, दामणा, हथपान, अरसी, छल्ला, छाप आदि। |
– बींटी- हाथ की अँगुलियों में पहने जाने वाले गोलाकार, छल्लों को ‘बींठी या बींटी या अँगूठी या मूँदड़ी’ कहा जाता है। तीन आँटों वाली मोटी अँगुठी ‘झोटा’ कहलाती है।
– आरसि- यह अंगूठे का आभूषण है।
– आँवला सेवटा- चाँदी का बना, हाथ में कड़े के साथ धारण किया जाने वाला आभूषण।
– चूड़- चाँदी अथवा सोने का आभूषण जो कलाई में पहना जाता है।
– गजरा- मोतियों से बना आभूषण जो कलाई में पहना जाता है।
– बाजूबंध या उतरणो- हाथ की बाजू (भुजा) में बाँधा जाने वाला सोने के बेल्ट जैसा आभूषण ‘बाजूबंध/उतरणी’ कहलाता है।
– नोगरी- मोतियों की लड़ियों के समूह से बना आभूषण।
– तांती- तांती जो कि गले, कलाई अथवा बाजू पर बाँधी जाती है, यह देवी-देवताओं से सम्बन्धित आभूषण है।
– लंगर- चाँदी के मोटे तारों से बना आभूषण यह ‘कड़े’ आभूषण के साथ पहना जाता है।
– लाखीणी – दुल्हन के पहनने की लाख की चूड़ी
– बंगड़ीदार – वह चूड़ी जिस पर सोने या चाँदी के पत्तर का बन्द लगा हो।
– छैलकड़ौ – हाथ का एक आभूषण।
कमर के आभूषण :
सटकौ, मेखला, तगड़ी, वसन, करधनी, कन्दोरा, सटका, कंदीरा, कणकती, जंजीर, चौथ आदि। |
– तगड़ी- सोने अथवा चाँदी से बना कमर में पहने जाने वाला आभूषण।
– चौथ- चाँदी से बना आभूषण जो जंजीर के समान होता है, इसे पुरुष एवं महिलाएँ दोनों धारण करते हैं।
पैर के आभूषण :
नेवर, पीजंणी, पायल, पादसकळिका, दाळीकियौ, तेघड़, तांती, झाँझर, सिंजनी, कंकणी, पींजणी, पायल, पायजेब, पायल (रमझोल), नेवरी, नुपुर, पैंजनिया, टनका, हिरना मैन, लछने, घुँघरू, तेघड़, आँवला, कड़ा, लंगर, झांझर, तोड़ा-छोड़ा, अणवट, पंजा, अंगूथळौ, अणोटपोल, कड़लौ, झंकारतन, टणकौ, टोडरौ, तोड़ौ, तोड़ासाट, मकियौ, मसूरियौ, रोळ, लछौ, हीरानामी, बीछियाँ, फोलरी, गोर, पगपान, गोळया, गूठलौ, दोळीकियौ, नखलियौ आदि। |
– बिछिया- इसे चूटकी अथवा छल्ला भी कहते हैं, यह सुहाग का प्रतीक है। पैरों की अँगुलियों में केवल विवाहित स्त्रियाँ ही यह आभूषण धारण कर सकती है। बिछिया को पाँव के अंगूठे के पास वाली अंगुली में पहना जाता है।
– फोलरी- तारों से फूलों की आकृति बनाकर पहनी जाने वाली अंगूठी ‘फोलरी’ कहलाती है।
– झाँझर – पायलनुमा आभूषण जिससे रुनझुन की आवाज आती है।
– गोल्या- चाँदी की चौड़ी तथा सादी अंगुठियाँ पैरों की अँगुलियों में पहनी जाती है, ‘गोल्या’ कहलाती है।
– मकियौ – स्त्रियों के पैरों का आभूषण
– नेवरी- पायल की तरह का आँवलों के साथ ही पहना जाने वाला आभूषण ‘नेवरी’ कहलाता है।
– नकूम- पायल के अलावा पैर में पहने वाला जालीदार आभूषण ‘नकूम’ कहलाता है।
– पायल- पायल को ही ‘रमझोल/पायजेब/शकुन्तला’ आदि नामों से जाना जाता है।
– पगपान- पगपान, हथफूल के समान पैर के अँगूठे व अंगुलियों के छल्लों को चैन से जोड़कर पायल की तरह पैर के ऊपर हुक से जोड़कर पाँव में विवाह के अवसर पर पहना जाता है।
– टणका- चाँदी से बना गोलाकार आभूषण जिसको पैरों में पहनने पर टणक-टणक की आवाज आती है।
– लछौ – चाँदी के तारों का पाँव का आभूषण।
– रोळ – स्त्रियों के पैरों का घुंघुरूदार आभूषण।
– नखलियौ – स्त्रियों के पाँव की अंगुलियों का आभूषण।
– दोळीकियाँ – पैर की अंगुली का एक आभूषण।
– टणको – स्त्रियों की भुजा का आभूषण।
पुरुषों के आभूषण :
– चूड़- गोल कड़े के रूप में हाथों में पहने जाने वाला आभूषण।
– कलंगी- साफे पर लगाया जाता है।
– बलेवड़ा – यह पुरुषों के गले में पहने जाने वाला आभूषण।
– सेहरा- शादी के समय वर द्वारा पहने जाने वाला साफा/पगड़ी।
– मुरकियाँ- पुरुषों द्वारा कान में पहने जाने वाला गोलाकार आभूषण।
– चौकी- गले में पहने जाने वाला आभूषण, जिस पर देवताओं का चित्र बना हुआ होता है।
– रखन या चूंप- सोने या चाँदी से निर्मित यह आभूषण दाँतों पर लगाया जाता है, यह आभूषण पुरुषों एवं स्त्रियों दोनों के द्वारा पहना जाता है।
– मादीकड़कम – पुरुषों के कान का आभूषण
– माठी – पुरुषों की कलाई पर पहनने के कड़े
– टोडर – पुरुष के पाँवों का स्वर्णभूषण
बच्चों के आभूषण :
– नजरिया- लाल कपड़े में सोने का टुकड़ा, मूँग तथा लाल चन्दन बाँधकर तैयार किया गया आभूषण नजरिया कहलाता हैं। यह आभूषण बच्चे को बुरी नजर से बचाने के लिए पहनाया जाता है।
– झाँझरिया या पैंजणी – बच्चों के पैरों में पहनाई जाने वाली पतली साँकली, जिनमें घूँघरियाँ लगी होती हैं, झाँझरिया कहलाती है।
– कड़ो या कंडूल्या- बच्चों के हाथ व पैर में पहनाए जाने वाले आभूषण कड़ो या कंडूल्या कहलाते हैं।
– कुड़क- छोटे बच्चों के कान छेद कर सोने-चाँदी के तार पहनाए जाते हैं, उन्हें कुड़क, लूँग, गुड़दा, मुरकी या बाली कहते हैं।
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