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- राजस्थान में पुरुषों की वेशभूषा, धोती अंग रखी( कुर्ता) कंधे पर दुपट्टा एवं सिर पर शिखराकार पगड़िया है
- राजपूत नरेशों की शाही पोशाकों में जामा, खिड़कियां पाग , बिरजश , कमरबंध , कटार या तलवार थी तथा उदयपुर में पुरुषों में सामान्यतः दाढ़ी रखने का रिवाज था
- पुरुषों के आभूषण –
- कान – मुरकिया , लांग , झाले
- गला – बलेवड़ा
- हाथ – बाजूबंद , छेलकड़ी , कड़ा
- अंगुलिया – अंगूठी
- अंगरखी (बुगतरी ) सफेद रंग की गर्दन से लेकर घुटनों तक पहने जाने वाली पुरुषों की पोशाक अंगरखी रखी कहलाती है
- राजस्थानी पगड़ी का जनक – कवि दुर्गादास
- भारत के पगड़ी का उद्धारक प्रचारक मुगल सम्राट अकबर था
- जोधपुर में चुनरिया बंधेज की पगड़ी का प्रचलन है
- धोती ( घुटनों तक)
- किसान और श्रमिक : लंगोटी की तरह ऊंची बांध वाली धोती |
- ब्राह्मण – नीची , बांधने वाली धोती
- सैनिक – छोटी धोती , छोटी पगड़ी
- भील – देफ़ादा
- मल्ल – कच्छा
- सन्यासी – उत्तरीय कोपीन
- पगड़ी – इसे सिर पर लपेट के बांधा जाता है पगड़ी बांधने वाला ‘ छाबडार कहलाता है
- विवाह पर रंग – बिरंगी बगड़िया एवं मृत्यु पर सफेद पगड़ी बांधी जाती है
- क्षेत्र अनुसार –
- जयपुर – लहदार लपेटो वाली पगड़ी
- हाडोती – सादा पेंच एवं शिखर वाली पगड़ी
- उदयपुर – सादा पेंच उठे हुआ शिखर वाली पगड़ी
- जोधपुर – मारवाड़ का साफा भारत में प्रसिद्ध है
- जाति अनुसार –
- सुनार – आटे वाली पगड़ी
- बंजारे – मोटी पट्टेदार पगड़ी
- शाही घराना – उदयपुर शाही , अमर शाही , भीम शाही
- पूर्वा अनुसार –
- विवाह – मोठड़े की पगड़ी
- दशहरा – मंदील
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