राजस्थान शिक्षक भर्ती 2023 के लिए तैयारी कर रहे हैं विद्यार्थियों के लिए आज हम राजस्थान सामान्य ज्ञान से संबंधित एक महत्वपूर्ण टॉपिक राजस्थान के धार्मिक स्थल ( 3 ) | Rajasthan Gk Notes in Hindi | For RAS, REET के बारे में उपलब्ध करवा रहे हैं क्योंकि यहां से भी अनेक बार पेपर में प्रश्न पूछे जा चुके हैं यह नोट्स ऑफलाइन क्लास के माध्यम से तैयार किए गए हैं इसलिए इस टॉपिक को अच्छे से क्लियर करने के लिए यह नोट्स अवश्य पढ़ें
राजस्थान के धार्मिक स्थल ( 3 ) के बारे में यह पार्ट 2 है अगर आप पार्ट 1 पढ़ना चाहते हैं तो हमने आपके लिए इसी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है आप सर्च बॉक्स में जाकर सर्च कर सकते हैं Rajasthan Gk Notes in Hindi के लिए ऐसे नोट्स आपको कहीं नहीं देखने को मिलेंगे यह नोट्स आपको कम समय में अधिक तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे
राजस्थान के धार्मिक स्थल ( 3 ) | Rajasthan Gk Notes in Hindi | For RAS, REET
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बीसलदेव मंदिर, टोंक
● बीसलपुर – टोंक से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बीसलपुर की स्थापना 12वीं शताब्दी में चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ द्वारा की गयी थी। बीसलपुर को ’गोकर्णेश्वर’ के मंदिर की वजह से महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसे बीसलदेव जी के मंदिर के रूप में जाना जाता है। यह विग्रहराजा चतुर्थ द्वारा बनाया गया था, जो गोकर्ण का परम भक्त था।
डिग्गी कल्याणजी मंदिर, टोंक
● डिग्गी – 5600 वर्ष पूर्व का सबसे पुराना पूजनीय हिंदू मंदिरों में से एक है श्री डिग्गी कल्याण जी मंदिर। भगवान विष्णु के अवतार श्री कल्याण जी यहाँ स्थित हैं। पूरे देश से लोग यहाँ अपने दुखों से मुक्ति और देवता के आशीर्वाद के लिए आते हैं।
बुढ्ढा जोहड़ गुरुद्वारा, श्रीगंगानगर
● इस ऐतिहासिक गुरूद्वारे का निर्माण, 1740 में घटी एक महत्वपूर्ण घटना के कारण किया गया जिसमें मस्सा रंगहर के अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अपवित्रीकरण का दोषी पाए जाने पर सुक्खा सिंह और मेहताब सिंह द्वारा न्याय किया गया था।
माता भद्रकाली का मंदिर, हनुमानगढ़
● हनुमानगढ़ से 7 किमी. की दूरी पर माता भद्रकाली का मंदिर घग्घर नदी के तट पर स्थित है। देवी मंदिर देवी दुर्गा के कई अवतारों में से एक को समर्पित है।
श्री गोगा जी मंदिर, हनुमानगढ़
● इस मंदिर को हिन्दू तथा मुस्लिम दोनों सम्प्रदाय के लोग मानते हैं। हिन्दू गोगाजी को गोगा जी देवता तथा मुस्लिम इन्हें गोगा पीर कहते हैं। हनुमानगढ़ से लगभग 120 किलोमीटर दूर, श्री गोगाजी का मंदिर स्थित है।
महामंदिर मंदिर, जोधपुर
● महामंदिर, जिसका शाब्दिक अर्थ महान मंदिर है, एक पवित्र स्थान है जहाँ सर्वत्र शांति व्याप्त है। ये मंदिर मंडोर मार्ग पर स्थित है और अनूठे वास्तुशिल्प का प्रत्यक्ष प्रमाण है। यह 84 खंभों पर टिका है।
मण्डलेश्वर महादेव, जोधपुर
● 923 ई. में मंडलेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण श्री मंडलनाथ ने किया था। यह शहर में सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। मंदिर की दीवारों में भगवान शिव और देवी पार्वती के असीम सुंदर चित्र हैं।
चामुंडा माता मंदिर, जोधपुर
● देवी चामुंडा माताजी राव जोधा की आराध्य देवी थी और इसलिए उनकी प्रतिमा मेहरानगढ़ किले के निर्माण के साथ ही प्रतिष्ठित करवाई गई। इसका जिर्णोद्धार महाराजा तख्तसिंह द्वारा 1857 में करवाया गया था।
कुंभ श्याम मंदिर, चित्तौड़गढ़
● राणा कुंभा के शासन के दौरान इस मंदिर का निर्माण किया गया था। उस समय की लोकप्रिय इंडो – आर्यन शैली में बने इस मंदिर का अटूट सम्बन्ध, राजकुमार भोजराज की पत्नी कवयित्री ’मीरा बाई’ से रहा है।
तुलजा भवानी मंदिर, चित्तौड़गढ़
● यह मंदिर 16वीं सदी में बनवीर ने देवी दुर्गा के सम्मान में बनवाया था। किवंदती के अनुसार बनवीर ने मंदिर बनवाने के लिए, अपने वज़न के बराबर स्वर्ण आभूषण दान दिए थे। इसीलिए इस मंदिर का नाम ’तुलजा मंदिर’ रखा गया।
चंद्रभागा मन्दिर, झालावाड़
● चन्द्रभागा नदी के किनारे पर बना यह मंदिर, झालावाड़ से 7 किमी. दूर है। शानदार चंद्रभागा मंदिर समूह, चंद्रभागा नदी के किनारे पर नक़्काशीदार स्तंभों और मेहराबदार द्वारों के साथ स्थित है।
द्वारकाधीश मंदिर, झालावाड़
● झालावाड़ शहर के संस्थापक झाला जालिम सिंह ने 1796 ई. में गोमती सागर झील के किनारे यह मंदिर बनवाया था तथा सन् 1806 ई. में यहाँ भगवान कृष्ण की मूर्ति की स्थापना की गई थी।
उन्हेल जैन मंदिर, झालावाड़
● यह जैन तीर्थ हैं जहाँ भगवान पार्श्वनाथ की हजार वर्ष पुरानी एक प्रतिमा है। जैन यात्रियों के लिए यह तीर्थ धार्मिक आस्था का केन्द्र है।
सूर्य मंदिर, झालावाड़
● झालावाड़ का दूसरा जुड़वां शहर है झालरापाटन, जिसे ‘सिटी ऑफ बैल्स’ यानि घंटियों का शहर भी कहा जाता है। यहीं पर बना है सूर्य मंदिर। यहाँ पर बहुत से मंदिर होने के कारण सुबह शाम मंदिरों की घंटियों की स्वर लहरी सुनाई देती है। 10वीं शताब्दी में बना 17 फीट ऊँचा भगवान शिव को समर्पित सूर्य मंदिर, झालरापाटन के सर्वाधिक मनोहारी मंदिरों में से एक है।
चिंतामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर, बाड़मेर
● बाड़मेर शहर के पश्चिमी भाग में एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित, यह जैन मन्दिर 16वीं शताब्दी में ’श्री निमाजी जीवाजी बोहरा’ द्वारा बनवाया गया था।
किराडू मन्दिर, बाड़मेर
● सोलंकी वास्तुकला शैली में उभरे, कंगूरे, स्तम्भ और पत्थर पर की गई बारीक नक़्काशी का काम-इन मन्दिरों को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। यहाँ पर पाँच मंदिरों का समूह है, जिनमें वैष्णव व शैव मंदिर हैं। किराडू के मंदिरों में से सबसे सुन्दर सोमेश्वर मंदिर है। किराडु को ‘राजस्थान का खजुराहो’ भी कहा जाता है।
श्री नाकोड़ा जैन मंदिर, बाड़मेर
● मुगलों के समय में आलमशाह ने 13वीं शताब्दी में इस मन्दिर पर हमला किया और इसे लूट कर ले गया था। लेकिन भाग्यवश भगवान की प्रतिमा को नहीं ले जा सका था।
विष्णु मंदिर, बाड़मेर
● खेड़ गाँव में स्थित यह विष्णु मन्दिर, हालांकि कई जगह से खण्डित हो रहा है, लेकिन आज भी इसके चारों तरफ एक भव्य आभा दिखाई देती है।
रानी भटियानी मंदिर, बाड़मेर
● ’भुआ सा’ के नाम से प्रसिद्ध रानी भटियानी एक हिन्दू देवी हैं जो पश्चिमी राजस्थान आौर सिंध पाकिस्तान में पूजनीय है। बाड़मेर के जसोल गाँव में स्थित रानी भटियानी का मंदिर मुख्यतया ढोली जाति के लोगों द्वारा श्रद्धा से माना जाता है। यह रानी जैसलमेर के जोगीदास गाँव की राजकुमारी थी।
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