राजस्थान शिक्षक भर्ती 2023 के लिए तैयारी कर रहे हैं विद्यार्थियों के लिए आज हम राजस्थान सामान्य ज्ञान से संबंधित एक महत्वपूर्ण टॉपिक Rajasthan ke Dharmik Sthal ( धार्मिक स्थल ) Part 5 | For RAS, REET, LDC के बारे में उपलब्ध करवा रहे हैं क्योंकि यहां से भी अनेक बार पेपर में प्रश्न पूछे जा चुके हैं यह नोट्स ऑफलाइन  क्लास के माध्यम से तैयार किए गए हैं  इसलिए इस टॉपिक को अच्छे से क्लियर करने के लिए यह नोट्स अवश्य पढ़ें

 राजस्थान के धार्मिक स्थल के बारे में यह पार्ट 5 है  अगर आप पार्ट 4 पढ़ना चाहते हैं तो हमने आपके लिए इसी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है आप सर्च बॉक्स में जाकर सर्च कर सकते हैं Rajasthan Gk Notes in Hindi के लिए ऐसे नोट्स आपको कहीं नहीं देखने को मिलेंगे यह नोट्स आपको कम समय में अधिक तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे

Rajasthan ke Dharmik Sthal ( धार्मिक स्थल ) Part 5

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शिवबाड़ी मंदिर, बीकानेर

● इस मंदिर में काले संगमरमर की बनी, चौमुखी शिव भगवान की प्रतिमा तथा शिवलिंग के सामने कांस्य की नंदी प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में पानी के दो बड़े जलाशय भी हैं, जिन्हें बावड़ी के रूप में जाना जाता है।

श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर, बीकानेर

● भगवान लक्ष्मीनाथ यानी विष्णु भगवान को, बीकानेर के शासकों ने अपना कुल देवता माना तथा स्वयं को उनके दीवान या मंत्रियों के रूप में माना। संगमरमर और लाल पत्थर से बने इस मंदिर का निर्माण, भगवान लक्ष्मीनाथ के देवालय के रूप में किया गया।  

गंगा मंदिर, भरतपुर

● भरतपुर का लोकप्रिय मंदिर, राजपूत, मुगल तथा द्रविड़ स्थापत्य शैली का सुन्दर मिश्रण है। यह मंदिर महाराजा बलवंत सिंह द्वारा 1845 में बनाना शुरू किया गया था, जिसका निर्माण कार्य 90 वर्षों तक चला। उनके उत्तराधिकारी राजा बृजेन्द्र सिंह ने इस मंदिर में देवी गंगा नदी की मूर्ति की स्थापना की थी। ऐसी मान्यता है कि इसके निर्माण के लिए, राज्य के सभी कर्मचारियों तथा समृद्ध लोगों ने एक माह का वेतन दान किया था। यहाँ मुख्य आकर्षण भगवान कृष्ण, लक्ष्मीनारायण और शिव पार्वती की मूर्तियाँ हैं। गंगा सप्तमी और गंगा दशहरा के अवसर पर यहाँ बड़ी संख्या में लोग आते हैं।

कामां, भरतपुर

● एक तरफ उत्तर प्रदेश व दूसरी तरफ हरियाणा के बॉर्डर पर यह छोटा क़स्बा ’कामां’, बृज क्षेत्र का एक हिस्सा है। भगवान कृष्ण के दादाजी कामसेन ने इसका नाम ’कामावन’ रखा। भाद्रपद (जुलाई अगस्त) के माह में यहाँ वैष्णव सम्प्रदाय के लोग वनयात्रा हेतु आते हैं।

लक्ष्मण मंदिर, भरतपुर

● भगवान राम के भाई लक्ष्मण को समर्पित इस मंदिर में राजस्थानी स्थापत्य शैली और गुलाबी रंग के पत्थरों पर अत्यन्त अनुपम नक़्काशी का काम किया गया है।

शेर शिखर गुरुद्वारा, धौलपुर

● मचकुण्ड के पास, यह गुरुद्वारा, सिख गुरु हरगोविन्द साहिब की धौलपुर यात्रा के कारण, स्थापित किया गया था। शेर शिखर गुरुद्वारा, सिखधर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है तथा ऐतिहासिक महत्व व श्रद्धा का स्थान रखता है।

शिव मंदिर और चौंसठ योगिनी मंदिर, धौलपुर

● सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक, चोपरा शिव मंदिर, 19वीं सदी में बनाया गया था।

नीलकंठ, अलवर

● सरिस्का से टहला गेट की ओर लगभग 30 किमी. की दूरी पर राजौरगढ में नीलकण्ठ मंदिर स्थित है।

घुश्मेश्वर मंदिर, सवाई माधोपुर

● पुराणों के अनुसार भगवान शिव का 12वां या अन्तिम ज्योतिर्लिंग, घुश्मेश्वर मंदिर’ माना जाता है। सवाई माधोपुर में शिवाड़ गांव में स्थित इस मंदिर के विषय में कई पौराणिक कहानियाँ प्रचलित हैं।

अमरेश्वर महादेव, सवाई माधोपुर

● सवाई माधोपुर की ऊँची पहाड़ियों के बीच बसा पवित्र अमरेश्वर महादेव मंदिर का स्थान रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान के मार्ग में स्थित है।

जामा मस्जिद, सवाई माधोपुर

● इस चहल-पहल वाले शहर के मध्य में स्थित जामा मस्जिद राजस्थान की बेहतरीन मस्जिदों में से एक है। अंदर और बाहर दोनों जगह आपस में भली प्रकार गूँथे हुए अलंरणों वाले भित्तिचित्रों के साथ मस्जिद में अभी तक प्राचीन वैभव विद्यमान है।

श्री महावीरजी मंदिर – सवाईमाधोपुर

● जैन समुदाय के चमत्कारिक तीर्थों में से एक है, यह मंदिर। गंभीरी नदी के तट पर बना यह मंदिर 24वें जैन तीर्थंकर श्री महावीर जी को समर्पित तीर्थस्थल है।

कैला देवी मन्दिर, करौली

● करौली के बाहर लगभग 25 किमी दूरी पर कैला देवी का प्रसिद्ध मन्दिर है जो कि त्रिकुट की पहाड़ियों के बीच कालीसिल नदी के किनारे पर बना हुआ है। यह मन्दिर देवी के नौ शक्ति पीठों में से एक माना जाता है तथा इसकी स्थापना 1100 ईस्वी में की गई थी, ऐसी मान्यता है।

मदन मोहन जी मंदिर, करौली

● मदन मोहन जी अर्थात् भगवान कृष्ण जी का मंदिर बड़ा भाग्यशाली माना जाता है। योद्धा लोग युद्ध पर जाने से पहले यहाँ आशीर्वाद लेने आया करते थे।

हरनी महादेव, भीलवाड़ा

● दराक परिवार के पूर्वजों द्वारा स्थापित और पास के गांव के नाम पर, हरनी महादेव एक शिव मंदिर है, जो शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है। सुरम्य पहाड़ियों से घिरा यह मंदिर पर्यटकों के लिए एक रमणीय स्थल है।

जटाऊँ का मंदिर, भीलवाड़ा

● 11वीं शताब्दी के मध्य में स्थापित जटाऊँ का मंदिर एक शिव मंदिर है, माना जाता है कि इसे एक भील आदिवासी ने बनाया था, जो यहाँ सबसे पहले बसने आया था।

तिलस्वां महादेव मंदिर, भीलवाड़ा

● बिजोलिया से 15 किमी. दूर स्थित चार मंदिर हैं, जिनमें से प्रमुख सर्वेश्वर (शिव) को समर्पित है, जो कथित तौर पर 10वीं या 11वीं सदी से सम्बन्धित है। मंदिर परिसर में एक मठ, एक कुंड या जलाशय और एक तोरण अथवा विजय स्मारक भी है।

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