राजस्थान शिक्षक भर्ती 2023 के लिए तैयारी कर रहे हैं विद्यार्थियों के लिए आज हम राजस्थान सामान्य ज्ञान से संबंधित एक महत्वपूर्ण टॉपिक Rajasthan ke Dharmik Sthal ( धार्मिक स्थल ) Part 4 | For RAS, REET, LDC के बारे में उपलब्ध करवा रहे हैं क्योंकि यहां से भी अनेक बार पेपर में प्रश्न पूछे जा चुके हैं यह नोट्स ऑफलाइन क्लास के माध्यम से तैयार किए गए हैं इसलिए इस टॉपिक को अच्छे से क्लियर करने के लिए यह नोट्स अवश्य पढ़ें
राजस्थान के धार्मिक स्थल के बारे में यह पार्ट 4 है अगर आप पार्ट 3 पढ़ना चाहते हैं तो हमने आपके लिए इसी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है आप सर्च बॉक्स में जाकर सर्च कर सकते हैं Rajasthan Gk Notes in Hindi के लिए ऐसे नोट्स आपको कहीं नहीं देखने को मिलेंगे यह नोट्स आपको कम समय में अधिक तैयारी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होंगे
Rajasthan ke Dharmik Sthal ( धार्मिक स्थल ) Part 4
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निंबोका नाथ मंदिर, पाली
● फालना और सांडेराव मार्ग पर भगवान शिव को समर्पित निंबो का नाथ मंदिर स्थित है। पौराणिक कथा के अनुसार पांडवों की मां कुंती भगवान शिव की पूजा करती थी और अपने निर्वासनकाल में अधिकांश समय उन्होंने महादेव की पूजा करते हुए बिताया था।
परशुराम महादेव मंदिर, पाली
● एक गुफा में स्थित भगवान शिव को समर्पित परशुराम महादेव मंदिर के बारे में एक रोचक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि भगवान विष्णु के अवतार परशुराम ने कुल्हाड़ी से गुफा बनाकर यहाँ भगवान शिव की पूजा की।
रणकपुर जैन मंदिर, पाली
● प्राकृतिक सौन्दर्य के बीच, घाटियों से घिरा यह भव्य मंदिर, जैन समुदाय के लिए बड़ा तीर्थस्थल है। हीरे जैसे चमकते और तरासे गए यह मंदिर अलौकिक, अद्भुत और अद्वितीय हैं। एक जैन व्यापारी के पास दिव्य दृष्टि होने की मान्यता के बाद 15वीं शताब्दी में निर्मित, रणकपुर जैन मंदिर आदिनाथ को समर्पित है।
सोमनाथ मंदिर, पाली
● पाली शहर के मध्य में स्थित सोमनाथ मंदिर अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और प्रतिमाओं के लिए विख्यात है। यह 1920 में गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी द्वारा बनाया गया था।
अभेड़ा महल और करणी माता मंदिर, कोटा
● अभेड़ा महल का निर्माण 18 वीं शताब्दी में कराया गया था। यह महल शाही आरामगाह की दृष्टि से कोटा से 8 किमी. की दूरी पर निर्मित करवाया गया है।
गरडिया महादेव, कोटा
● कोटा से डाबी उदयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग 76 पर कोटा से 24 किमी की दूरी पर मोड़ से 5 किमी. अंदर दुर्गम वन क्षेत्र मे यह नैसर्गिक सौंदर्य का स्थल तथा चम्बल की तराईयों में प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। यहाँ से चम्बल के ख़ूबसूरत व्यू को देखा जा सकता है। पर्यटक यहाँ शांति तथा प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव करने आते हैं। यह स्थल मुकुंदरा नेशनल पार्क में स्थित है।
गेपरनाथ मंदिर, कोटा
● कोटा से रावतभाटा मार्ग पर 22 किमी. की दूरी पर गेपरनाथ मंदिर चम्बल नदी के समीप दुर्गम पहाड़ियों में निर्मित है। यहाँ पर्यटक सीढ़ियां उतरकर तलहटी में बने प्राचीन शिव मंदिर के दर्शन करते हैं।
दाढ़ देवी मंदिर, कोटा
● कोटा के शाही परिवार की कुलदेवी का प्राचीन मंदिर है।
कंसुआ शिव मंदिर, कोटा
● कोटा का यह प्राचीन मंदिर 738 ई. में निर्मित है। यह मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला से पर्यटकों को आनंदित कर देता है।
खड़े गणेश जी मंदिर, कोटा
● यह एक प्राचीन तथा आस्था का प्रतीक मंदिर है। यहाँ भगवान गणेश की प्रतिमा खडे़ रूप में है। प्रत्येक वर्ष गणेश चतुर्थी पर तथा प्रत्येक सप्ताह के बुधवार के दिन यहाँ भक्तजन दर्शनार्थ आते हैं।
मथुराधीश मंदिर, कोटा
● कोटा शहर के परकोटे के भीतर पाटनपोल में श्री प्रथम वल्लभपीठ श्री मथुरेश जी का मंदिर स्थित है। रियासतकाल से कोटा कृष्ण भक्ति का प्रधान केन्द्र रहा है। यहाँ प्रथम पीठ के अनुयायी पूरे विश्व मे रहते हैं तथा जन्माष्टमी जैसे उत्सव-त्यौहारो पर पूरे परिवार सहित दर्शनार्थ कोटा आते हैं।
कोटा के अन्य धार्मिक स्थल–
● चरण चौकी,गोदावरी धाम व करणेश्वर मंदिर आदि।
देशनोक करणी माता मंदिर, बीकानेर
● दुनियाभर में चूहों के लिए अपनी पहचान बनाने वाला मंदिर, बीकानेर से 30 किमी. की दूरी पर, देशनोक गाँव में है। यह पर्यटकों में ’टैम्पल ऑफ़ रैट्स’ के नाम से मश्हूर है। इस मंदिर में जो चूहे घुमते है जिन्हें ’काबा’ कहते हैं।
जैन मंदिर भांडासर, बीकानेर
● जैन धर्म के 5वें तीर्थंकर सुमतिनाथ जी को समर्पित यह मन्दिर 15वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसमें काँच का सुन्दर जड़ाऊ काम, भित्ति चित्र तथा सोने के पत्रों से बने चित्र दर्शनीय है।
कोडमदेसर मंदिर, बीकानेर
● राव बीकाजी द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी। जोधपुर से आने के तीन वर्ष बाद ही राव बीकाजी ने, कोडमदेसर भैंरू जी की स्थापना यहाँ पर की तथा पूजा अर्चना की।
कोलायत, बीकानेर
● हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान, जहाँ हर साल दूर दूर से श्रद्धालु, मंदिर में दर्शन को आते हैं। कोलायत एक पवित्र झील है, जो बीकानेर से करीब 50 किमी. दूरी पर है। यहाँ का इतिहास सांख्य योग के प्रणेता कपिल मुनि की कहानी सुनाता है, जो इस जगह के शांतिपूर्ण वातावरण से इतने अभिभूत हो गए थे।
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